इस पौधे की मदद से करें किडनी को ठीक

मानव शरीर के सभी अंगों की तरह किडनी भी शरीर का एक बहुत महत्वपूर्ण अंग है। किडनी हमारे शरीर के सैकड़ो फंक्शन में अहम भूमिका निभाती है, लेकिन आजकल के गलत खान-पान के कारण किडनी रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आमतौर पर एक किडनी खराब हो जाने पर भी दूसरी किडनी के सहारे व्यक्ति जी कैसे सकता है, लेकिन एक किडनी पर बहुत सारे बोझ पड़ने के कारण इसके फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही किडनी हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी के दोनों सिरों पर बीन्स आकार के दो अंग की होती है। किडनियां रक्त में मौजूद खराब पदार्थों को छानकर साफ करती है और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है। खून को साफ कर पेशाब बनाने का कार्य भी किडनी के द्वारा ही पूरा होता है। किडनी रक्त में उपस्थित अनावश्यक कचरे को पेशाबमार्ग से शरीर से बाहर निकाल देती है। फिल्टर पेशाब के माध्यम से शरीर के गंदे और हानिकारक पदार्थ जैसे यूरिया, क्रिएटिनिन और अनेक प्रकार के अम्ल बाहर निकल जाते हैं।

किडनी शरीर में किस तरह से काम करती है?

किडनी लाखों छलनियों तथा लगभग 140 मील लंबी नलिकाओं से बनी होती है। किडनी में उपस्थित नलिकाएं छने हुए द्रव्य में से जरूरी चीजें जैसे- सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम आदि को दोबारा सोख लेती है ओर बाकी अनावश्यक पदार्थों को पेशाब के रूप में बाहर निकाल देती है। किसी तरह की खराबी की वजह से अगर एक किडनी कार्य करना बंद कर देती है तो उस स्थिति में दूसरी किडनी पूरा कार्य संभाल सकती है।

किडनी की बीमारियां क्यों होती है?

किडनी में गड़बड़ी का कोई एक वजह नहीं है जिसे दोष दिया जाएं, इसके लिए बहुत सी ऐसी वजह जिम्मेदार है। किडनी की बीमारी के लिए दूषित खान-पान और वातावरण को मुख्य कारण माना जाता है। गंदा मांस, मछली, अंडा, फल, भोजन और गंदे पानी का सेवन किडनी की बीमारी कारण बन सकता है। बढ़ते औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और वाहनों के कारण पर्यावरण प्रदूषण बढ गया है। भोजन और पेय पदार्थों में भी कीटाणुनाशकों, रासायनिक खादों, डिटरजेंट, साबुत, औद्योगिक रसायनों के अंश पाएं जाते हैं। ऐसे में फेफड़े और जिगर के साथ ही किडनी भी सुरक्षित नहीं है। किडनी के मरीजों की संख्या दिन पर दिन बढ रही है।

किडनी की बीमारी के लक्षण -
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          चेहरे और पैरों में सूजन आना
·         भूख कम लगना
·         उल्टी होना
·         कमजोरी लगना
·         थकान
·         एनीमिया (शरीर में रक्त की कमी)
·         उच्च रक्तचाप

किडनी को ठीक रखने के लिए पौधा –

प्रकृति की गोद में ऐसी बहुत सी जड़ी-बूटियां हैं, जो रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती है। प्राचीन समय से ही उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए देसी जड़ी-बूटियों और नुस्खों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी में से एक है पुनर्नवा। यह एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जो हमारी सेहत में सुधार कर आयु को बढ़ाने में मदद करती है। इसका पौधा बरसात के महीनों में अधिकांश उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगता है। भारत के कुछ भागों जैसे - पश्चिम बंगाल और असम में पुनर्नवा का इस्तेमाल भोजन पकाने में भी किया जाता है। साथ ही आयुर्वेद में भी इस बात का वर्णन किया गया है कि, पुनर्नवा में तनाव को दूर करने वाले तत्व मौजूद होते हैं और इसे रसायन और लिवर को सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी जाना जाता है।
बता दें कि, पुनर्नवा में अनेक औषधीय गुण होते हैं, जो कि सेहत में सुधार करने और बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। शोध के मुताबिक, पुनर्नवा किडनी की बीमारी, किडनी स्टोन, पीलिया, डायबिटीज और कैंसर जैसे रोगों को ठीक करने में लाभकारी साबित हुआ है। पुनर्नवा कई फायदों के साथ दिखने में काफी सुदंर है। इसके तने का रंग जामुनी होता है, इसके पत्ते छोटे और बड़े दोनों तरह के होते हैं। पुनर्नवा के फूल सफेद या गुलाबी या लाल रंग के हो सकते हैं। एक रिसर्च की माने, तो पुनर्नवा की सफेद किस्म तीनों दोष वात, पित्त और कफ के लिए उत्तम होती है, लेकिन लाल और गुलाबी पुनर्नवा पित्त को साफ करने के लिए जानी जाती है।

पुनर्नवा ने पाएं जाने वाले गुण -

पुनर्नवा स्वाद में कड़वा, तीखा, कसैला और खारा होता है। लेकिन यह वायु, कफ, सूजन, खांसी, बवासीर, पीलिया आदि रोगों से छुटकारा दिलाता है। पुनर्नवा के इस्तेमाल से पुनर्नवादि क्वाथ, पुनर्नवा मंडूर, पुनर्नवा मूल घनबटी, पुनर्नवा चूर्ण आदि महत्वपूर्ण औषधीया बनाई जाती है। अनेक कुशल वैद्य उसकी औषधि जैसे कि पुनर्नवा गुग्गुल, पुर्नवरिष्ठ और पुनर्नवा रसायन बनाकर लोगों को दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य का लाभ देते हैं और शारीरिक दर्द से मुक्ति दिलाते हैं। पुनर्नवा केवल रोग निवारक औषधि ही नहीं है, यह शक्तिदायक औषधीयों में आती है।

पुनर्नवा करें किडनी की बीमारी से मुक्त -

रिसर्च के अनुसार, पुनर्नवा एक ऐसा पौधा है, जिससे किडनी की बीमारी ठीक की जा सकती है। किडनी की क्षतिग्रस्त कोशिकाएं फिर से स्वस्थ हो सकती है। साथ ही इंफेक्शन की आशंका भी इस दवा से कई गुना कम हो जाती है। साथ ही अध्ययन के अनुसार पुनर्नवा, गोखरू, वरुण, पत्थरपूरा, पाषाणभेद, कमल ककड़ी जैसी जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाई गई दवा से किडनी में क्रिएटिनिन, यूरिया व प्रोटीन नियंत्रित करती है। क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को स्वस्थ करने के अलावा यह हीमोग्लोबिन भी बढ़ाती है।
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      पुनर्नवा किडनी की कई सारी समस्याएं जैसे कि, किडनी इंफेक्शन या फिर किडनी स्टोन को बहुत जल्दी ही ठीक कर देती है। पुनर्नवा की पत्तियों को पीसकर उसका काढ़ा बनाकर पीने से आपको इस समस्या से बेहद जल्दी आराम मिलता है।
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     अगर आप पुनर्नवा की जड़ को पीसकर शहद के साथ मिलाकर अपनी आंखों पर लगाते हैं, तो इससे आपकी आंखों की खुजली और मोतियाबिंद की समस्या दूर हो जाती है, रोजाना पुनर्नवा की जड़ को शहद के साथ घिसकर आंखों पर लगाने से रतौंधी की समस्या से छुटकारा मिलता है।
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       यदि आपको किडनी से जुड़ी कोई समस्या है तो आपके लिए पुनर्नवा बेहद फायदमंद साबित हो सकता है। पुनर्नवा के पौधे का काढ़ा बनाकर पीने से किडनी से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती है।

      अगर आपको भूख न लगने की समस्या है, तो प्रतिदिन पुनर्नवा के पौछे का काढ़ा बनाकर पिएं। ऐसा एक सप्ताह तक इसका काढ़ा पीने से आपको भूख न लगने की समस्याएं दूर हो जाएगी।
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      यदि पुनर्नवा के पत्तों के रस को दूध के साथ मिलाकर सेवन करते हैं, तो आप लंबे समय तक जवान बने रह सकते हैं।
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      डायबिटीज का इलाज करने के लिए पुनर्नवा को एक काफी फायदेमंद जड़ी-बूटी माना गया है। डायबिटीज के इलाज में मदद कर सकता है। पुनर्नवा इंसुलिन के स्त्राव में सुधार करने काम कर सकता है, लेकिन यह आपकी डायबिटीज की दवा की जगह तो नहीं ले सकता है, लेकिन पुनर्नवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें, क्योंकि इसके जितने फायदे है उतने ही इसके नुकसान भी है।

किडनी की खराबी को ठीक करने के लिए अन्य घरेलू उपाय –

कुछ मरीजों की किडनी पूरी तरह ही खराब हो जाती है और डॉक्टर उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बोल देते हैं, लेकिन यह काफी दर्दनाक और महंगा इलाज होता है जो हर कोई इससे नहीं करवा सकता है। वैसे आप इन घरेलू उपायों को अपनाकर किडनी की बीमारियों को मुक्त कर सकते हैं जैसे –

·     नीम और पीपल – नीम और पीपल के पौधों से किडनी की समस्या को ठीक किया कर सकते हैं। इसलिए इन पौधों की छाल सा इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इसका काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से फायदा होता है। इसको बनाने के लिए 10 ग्राम नीम और 10 ग्राम पीपल की छाल को तीन गिलास पानी में डालकर उबालें। जब पानी आधा हो जाए, तो इसे एक बोतल में डाल कर रखें। इस काढे को 3-4 भाग में बांट कर सेवन करें। इसका इस्तेमाल से एक सप्ताह में क्रिएटिनिन लेवल सामान्य पर आने लगेगा।

·    गेहूं के जवार और गिलोय का रस – गेहूं की घास को धरनी की संजीवनी के रूप में माना जाता है। इस रस को पीने से बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज हो जाता है। गिलोय का रस मिलाकर पिया जाए, तो ये अमृत बन जाता है। साथ ही इस काढ़े को बनाने के लिए 50 ग्राम गेहूं के जवार और गिलोय का रस को मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर लें। प्रतिदिन सुबह इसे खाली पेट इस मिश्रण को लेने से डायलिसिस की समस्या से छुटकारा मिलता है। किडनी से विषैले पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करता है।
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    गोखरू – इसके बारे में बहुत कम लोगों ने ही सुना होगा। यह किसी भी पंसारी की दुकान से आसानी से मिल जाता है। आप इसको 250 ग्राम गोखरू कांटा को 4 लीटर में उबालें। जब पानी 1 लीटर रह जाए, तो इसे छानकर एक बोतल में रख लें। इस काढे को थोड़ा गुनगुना करके सुबह शाम 100 ग्राम पिएं। रोज सही समय पर इसका सेवन करने से किडनी रोगी का काफी फायदा होता है।

कर्मा आयुर्वेदा आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र

कर्मा आयुर्वेदा भारत का प्रसिद्ध आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र है जो रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करता है। यह अस्पताल सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा दिल्ली में स्थापित किया गया था और आज इसका संचालन डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर भरोसा किया जाता है और सभी मरीजों को आयुर्वेदिक दवाओं के साथ आहार चार्ट और योग करने की सलाह दी जाती है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेद की मदद से सफलतापूर्वक 35,000 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें इस गंभीर रोग से मुक्त किया है।  

आयुर्वेद के अनुसार, कोई भी रोग केवल शारीरिक अथवा मानसिक नहीं हो सकता है। शारीरिक रोगों का प्रभाव शरीर पर पड़ता है और मानसिक रोगों का प्रभाव मन पर पड़ता है। इसलिए सभी रोगों को मनो दैहिक मानते हुए चिकित्सा की जाती है। इसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसलिए इन औषधियों से हमारे शरीर पर किसी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। आयुर्वेद में रोग प्रतिरोध क्षमता विकसित करने पर बल दिया जाता हैं, क्योंकि इससे किसी भी प्रकार का रोग न हो। आयुर्वेद और योग से असाध्य रोगों का सफल उपचार किया जाता है। वह रोग भी ठीक हो सकता है जिनका अन्य चिकित्सा पद्धतियों में कोई उपचार संभव नहीं है।

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